मुझे लेखन से आत्मिक संतुष्टि मिलती है | अपने अंदर ऊर्जा का संचार होता महसूस होता है | “राग में रंग में” मेरे भावों और अनुभवों का मनोवैज्ञानिक दार्शनिक है तथा इस पुस्तक के द्वारा मैंने रूहानी विश्लेषण प्रस्तुत करने की कोशिश की है | कई कविताओं में व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा का संदेश है, जैसे -
“बड़ी बात हम क्या करें किसी से
वक्त का राज है वक्त ही बतला देगा
तुम क्यों बैठे हो मुकद्दर को लेकर अपने
बस खड़े हो जाओगे तुम को भी चला देगा
और
हर व्यक्ति को अपने रस्ते खुद बनाने होते हैं
औरों के पीछे चलने में बस तहखाने होते हैं
रूहानी पक्ष है
तुम्हारी सांस का ये मीठा पन है
ये चेहरा फूल सा खिल गया है
और दार्शनिक
मैं ही रावण हूं मैं ही राम हूं
मैं ही धर्म अर्थ और काम हूं
इस किताब को पढ़ने से यदि एक व्यक्ति को भी अंधेरे में एक रोशनी की किरण दिख जाती है तो मेरा लिखना सफल हो जाएगा
रात रात रह गई
शुरुआत रह गई
नहीं चले क्यों दो कदम
क्या बात रह गई”
अमित कुमार श्रीवास्तव
यहाँ खरीदारी करें: Amazon, Flipkart, Shopclues, BlueRose
“बड़ी बात हम क्या करें किसी से
वक्त का राज है वक्त ही बतला देगा
तुम क्यों बैठे हो मुकद्दर को लेकर अपने
बस खड़े हो जाओगे तुम को भी चला देगा
और
हर व्यक्ति को अपने रस्ते खुद बनाने होते हैं
औरों के पीछे चलने में बस तहखाने होते हैं
रूहानी पक्ष है
तुम्हारी सांस का ये मीठा पन है
ये चेहरा फूल सा खिल गया है
और दार्शनिक
मैं ही रावण हूं मैं ही राम हूं
मैं ही धर्म अर्थ और काम हूं
इस किताब को पढ़ने से यदि एक व्यक्ति को भी अंधेरे में एक रोशनी की किरण दिख जाती है तो मेरा लिखना सफल हो जाएगा
रात रात रह गई
शुरुआत रह गई
नहीं चले क्यों दो कदम
क्या बात रह गई”
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