Sunday 3 February 2019

"चंदा" By Ashok Kumar Sharma

उपन्यास को कहानी का एक विस्तृत रूप जाना जाता है। अधिकांशतः, उपन्यास एक गद्यबद्ध कथानक होता है, जिसमें रचनाकार किसी एक ज्वलंत विषय को रुचिकर ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। यह लेखक की काल्पनिक क्षमता पर निर्भर करता है कि वो कहानी को किस सीमा तक विस्तृत करने में सफल हो पाता है। मन की प्रमुख विशेषता यह है कि वह छलांग लगाने में अत्यंत कुशल होता है। मन की इसी कुशलता के कारण, रचनाकार अपनी कल्पना को विभिन्न घटनाओं में परिलक्षित करता है और फिर उसे एक हृदयस्पर्शी कहानी का रूप देता है। ‘चन्दा’ – उपन्यास भी लेखक की एक ऐसी काल्पनिक उड़ान है जिसमें मानवीय वासनाओं के विभिन्न पहलुओं की छाप दिखाई देती है। उपन्यास के दो प्रमुख पात्रों के प्रेम-प्रसंग के चित्रांगण के अतिरिक्त, अन्य चरित्रों को भी बहुत सार्थक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समकालीन समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता, अशिक्षा, रूढ़िवादिता, स्त्रियों का घर की चारदीवारी में रहकर जीवन जीना आदि विषयों से संबन्धित काल्पनिक घटनाओं का चित्रण भी इस उपन्यास की एक विशेषता है। इस उपन्यास की रचना करते समय इसकी लयबद्धता पर विशेष ध्यान रखा गया है, जिसके फलस्वरूप पाठक इस कल्पित आख्यायिका के साथ अंत तक बंधा रह सकेगा।

(डॉ. अशोक कुमार शर्मा)

(लेखक)

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