यह कहानी है जिजीविषा की, संघर्ष की और प्रेम की। यह कहानी है मौत से जूझते हुए एक नवजात की। यह कहानी है, उस पिता की जो अचानक ही एक दिन जिम्मेदार हो जाता है, जो अब तक जिंदगी को खिलंदड़ापन समझता है, पर जिंदगी उसे पलटकर सबसे बड़ा पाठ सिखाती है।
व्यालोक पेशे से पत्रकार हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और भारतीय जनसंचार संस्थान (आइआइएमसी) से शिक्षा प्राप्त की। ‘दैनिक भास्कर‘, ‘ईटीवी‘ और ‘न्यूज 24‘ जैसे मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। “चैथी दुनिया” और “माया” के पुनर्प्रकाशन की पहली टीम के सदस्य भी रहे। घुमक्कड़ी और बतकही पसंद है। पढ़ने को किताबें हों, तो लोगों की जरूरत नहीं महसूस करते।
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