‘‘अल्फ़ाज़ों ने
सुनाई दास्ताँ‘‘ एक ऐसी
किताब है
जिसमें शायर
ने अपने
दिल की
बात और
अपने एहसासों को
अपने कलम
से अल्फ़ाज़ों का
आकार देकर
] कविता का
रूप देकर
] शायराना अंदाज
से बयाँ
किया है।
ज़िन्दगी के अलग
अलग मुकाम
पर ] जब भी
किसी नए
एहसास से
रू-ब-रू होना
पड़ा है
तो शायर
ने अपने
जज़्बात को
पन्नों में
कैद किया
है। उन
पन्नों को
आज पहचान
मिली है
जब वो
सबके सामने
आकर मुकम्मल हो
गया।
कवि की पहचान-
नाम- चिन्मय चिंतन
मिश्र
पिता का नाम-
श्री गोपाल
चंद्र मिश्र
माँ का नाम-
श्रीमती अमूल्य मिश्र
जन्म स्थान- संबलपुर ]ओडिशा
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