Sunday 2 June 2019

“Aparajita” By Anjali Sharad Chhibber


क्या कभी ईश्वर को परिभाषित किया जा सकता है ? यह तो हृदय में झिलमिलाता एक विश्वास है, एक एहसास है, आशा का एक दीप है, बस इसी झिलमिलाते विश्वास को और अपने भावों को शब्दों का रूप देने का ये प्रथम प्रयास अपराजिता के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
अंजलि एक शिक्षित परिवार से निकली महिला हैं, देहरादून से कम्प्यूटर एप्लिकेशन में मास्टर्स करने के बाद इन्होंने १० साल आईटी क्षेत्र में दिल्ली में काम किया और उसी दौरान अपने भावों को कविताओं के रूप में रूपांतरित किया। अंजलि एक सकारात्मक सोच और प्रकृति में रूचि लेने वाली महिला हैं और अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानती हैं। उनका मानना है कि एक महिला का शिक्षित होना और अपने पैरों पर खड़ा होना उतना ही जरूरी है जितना कि एक पुरुष का।


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