Friday 31 May 2019

"Meri Kachehri (Nyay+Aalay)" By Anchal Saksena

ब्लौग्स से किताब तक
मेरी कचहरी (न्याय+आलय) में लेखिका अंचल सक्सेना ने अपने उन अनुभवों को लिखने का प्रयास किया जो उन्होने फ़ौजदारी के वकील के रूप में जिला न्यायालय फतेहगढ़, फ़र्रुखाबाद में अपने अल्प कार्यकाल के दौरान अर्जित किए। 2016 में वकालत से दूरी बनाने के पश्चात उन्होने लेखन आरंभ किया और सर्वप्रथम ब्लॉग्स्पॉट पर “मेरी कचहरी (न्याय+आलय)” रूपी ब्लौगस लिखे। इस श्रंखला के अंतर्गत उन्होने कई भाग लिखे जिन्हें पाठकों द्वारा सराहा गया। प्रथम दिवस से ले कर अपने अंतिम अनुभव तक का लेखा जोखा यहाँ उनके द्वारा वर्णित किया गया। काल्पनिक कहानी के रूप में पहली पुस्तक “विश्वास और मैं” प्रकाशित होने के बाद इस शृंखला को किताब के रूप में सुनियोजित कर, त्रुटियों को ठीक कर प्रकाशित किए जाने का निर्णय लिया। हास्य-व्यंग से आरंभ हुई ये श्रंखला कहीं गंभीर हो जाती है तो कहीं कटाक्षों से परिपूर्ण है। लगभग साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान भी जब वे स्वयं को वकालत से जोड़ नहीं पायी तो उन्होने अंततः लेखन को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। जिस प्रकार उनकी पहली किताब एक प्रेम कहानी थी और मात्र किन्ही निश्चित पाठकों के लिए नहीं थी उसी प्रकार ये किताब जो काल्पनिक नहीं है उसके नाम मात्र से ही उसके पाठक तय नहीं हो जाते। ये किताब मात्र वकीलों या न्यायालय से जुड़े लोगों के लिए नहीं अपितु हर उस व्यक्ति के लिए है जो न्यायव्यवस्था की समझ रखता है और आवश्यकता जानता है।
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