Thursday 30 May 2019

"Indra Dhanush Ke Rang" By Chetna Kapoor

आनंद
रात सोच कर सोई थी…. आज देर तक सोऊँगी। छुट्टी में सोने का आनंद आहा।
पर ये क्या..नींद तो रोज की तरह तड़के ही खुल गई। घड़ी में पांच ही बजे थे अभी तो। देर तक सोने की इच्छा का मनुहार करते हुएमैं फिर सोने की कोशिश करने लगी। अचानक बालकनी से आतीकिसी चिड़िया की मधुर आवाज नेमुझे बिस्तर से उठने पर मजबूर कर दिया। आहिस्ता से मैंने बालकनी का दरवाज़ा खोल कर देखा… वहां एक प्यारी सी नन्हीं सी चिड़ियापानी के बर्तन में अठखेलियां कर रही थी। आहा… कितनी प्यारी लग रही थी वह।कभी वह पानी पीती…… कभी पानी में अठखेलियां करती….l
मैं मंत्र मुग्ध सी,  अपलक निहार रही थी उसे। 
मेरी तो मार्निंग वाकई…. फील गुड वाली मार्निंग हो गई थी। बिना कुछ कहे… या जताए वह नंन्ही सी चिड़िया मेरे चेहरे पर मुस्कान दे रही थी….. शायद वह आनंद बांट रही थी मेरे साथ..। मैं भी उस अनमोल आनंद को चुपचाप समेट रही थीखुद में। हां….. कहाँ मिलेगा ऐसा मासूमनिश्छल आनंद?
अरे…. तभी वह फुर्र से उड़ गई.। मैं उसे दूर तक देखती रही….. मुस्कुराती हुई। मानो कह रही थी…. आ जाया करो यहांजब जी चाहे।
हमेशा रखती हूं मैं यहाँ….. पानी  से भरा बर्तन।
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